अकेलेपन में खुद को पाया
अच्छा हुआ तूने मुझे छोड़ दिया,
वरना मैं इस भीड़ में कहीं खो जाता।
तुम्हारे बिना खुद को पाया,
अब मैं यहाँ हूँ और मेरा अकेलापन खत्म हो गया है।
रास्ते अँधेरे थे, मंजिलें दूर थीं,
दिल में खामोशी का शोर था,
पर अच्छा हुआ कि जिन्होंने मेरा साथ नहीं दिया,
वरना मैं खुद से इतना नहीं लड़ पाता।
हर आँसू, हर ठोकर ने मुझे सिखाया,
का असली मतलब समझाया ज़िन्दगी,
गिरना और उठना, फिर चलना,
खुद को दोस्ती का पाठ पढ़ाया।
कभी-कभी हारना भी जीतना होता है,
और दर्द में भी कोई छिपा मतलब होता है,
तुम्हारा जाना सही था, पर तुमने अच्छा किया।
मैंने खुद को नई ज़िंदगी जीना सिखाया।
तुम्हारी यादों का बोझ भारी था,
पर धीरे-धीरे वो भी हल्का होता गया,
हर ज़ख्म अब मेरी ताकत बन गया है,
हर ज़ख्म एक नई राह दिखाता है सपना।
अब मैं अपने रास्ते पर चल रहा हूँ,
कोई डर नहीं है, आस-पास कोई बेड़ियाँ नहीं हैं,
तुमने मुझे आज़ाद करके अच्छा किया,
वरना मैं शायद खुद से इतना जुड़ नहीं पाता।
हर दर्द के पीछे एक वजह होती है,
और हर जुदाई में एक सबक छिपा होता है,
तुमने दर्द देकर अच्छा किया।
मैंने अपने अंदर की कमज़ोरी को पहचान लिया।
अब जब भी हालात मुश्किल होते हैं,
तुमने मुझे जो सबक दिए, वो मुझे आगे बढ़ने में मदद करते हैं आगे,
अच्छा हुआ कि तुमने मुझे अकेला कर दिया,
अकेलेपन में मैंने खुद को अपना बना लिया।
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